ग्रंथी तथा हार्मोन – 2024

नमस्कार दोस्तो taajaknowledge.com के इस पोस्ट में आपका स्वागत है। यदि आप सब ग्रंथी तथा हार्मोन से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारी पाना चाहते है तो ये पोस्ट बिलकुल आपके लिए ही है । आप सब इस पोस्ट के पढ़ने के बाद अपनी राय हमे हमारे ईमेल kk0098763@gmail.com मेल करके या पोस्ट के नीचे दिए गए कमेन्ट बॉक्स के माध्यम से भी दे सकते है । तो चलिए जानते है ग्रंथी तथा हार्मोन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण जानकारी-

ग्रंथी तथा हार्मोन

इसकी आकृति थैले जैसे होती है। जिसमे से हार्मोन या एंजाइम निकलती है ।ग्लैंड (ग्रंथियां) शरीर के विभिन्न अंगों में स्थित ऊतकों को संदर्भित करता है। ये ऊतक अंगों के कार्यों को नियंत्रित करते हैं, जैसे कि हार्मोन के उत्पादन, संदेश प्रेषण, और अन्य सामान्य शारीरिक कार्य। ग्लैंड विभिन्न प्रकार की होती हैं, जैसे थायरॉइड ग्लैंड, पीनियल ग्लैंड, लिवर ग्लैंड, आदि। ये ऊतक शरीर के संतुलन और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। ग्रंथियां तीन प्रकार की होती है – बहिः स्त्रावि, अंतः स्त्रावी और मिश्रित

बहिः स्त्रावि

इस ग्रंथी में नली नही पाया पाया जाता है । इसमें से एंजाइम निकलती है जो रक्त में नही मिलता है । हमारे शरीर में बहुत सारे ग्रंथी पाए जाते है। जैसे – स्वेत, दुग्ध, लार, आसूं, मोम, पसीना, सीबम, किचड़, अश्रुगंथ ग्रंथीया प्रमुख है।

यकृत

यह हमारे शरीर में पाए जाने वाली बहिः स्त्रावि ग्रंथियों में सबसे बड़ी है। यह हेपरिन तथा फ्राइब्रिनोजेन का संश्लेषण करती है। यह प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट का तोड़ फोड़ करती है। जो विटामिन वसा में घुलनशील रहते है वे यकृत में जा कर जमा रहते है। कोलेस्ट्रोल सबसे ज्यादा यकृत में ही पाया जाता है।

यकृत से बिलुरुबिन नामक द्रव पाया जाता है जिसके अधिक मात्रा ।e निकलने से हमारा शरीर पीला हो जाता है । जिसे पीलिया या जॉन्डिस कहते है। यकृत से विलिवर्डिन नामक एक द्रव पाया जाता है जो पित रस को हरा रंग में बदल देता है। हमारे शरीर में अमोनिया को यूरिया में बदलने का काम यकृत ही करता है। भ्रूण अवस्था में RBC का निर्माण यकृत के मिसोडर्म कोशिका में ही होता है। यह पित रस का निर्माण करता है जिसमे कॉपर (Cu), लोहा(Fe) तथा पोटेशियम(K) होता है।

अंतः स्त्रावी

अंतः स्त्रावी ग्रंथी से हार्मोन निकलता है। इसका रास्ता निश्चित नहीं रहता है क्योंकि इसमें नली का अभाव पाया जाता है । इस से निकलने वाले हार्मोन रक्त में जाकर मिल जाते है ।हमारे शरीर में मुख्य रूप से इनकी संख्या 8 होती है। हाइपोथैलेमस, पीयूष, पिनियल, गोनाड, थाइमस, एड्रिनल, थायराइड, पारा थाइराइड । तो चलिए जानते है इनसभी के बारे में एक एक करके –

हाइपोथैलेमस

इसका मुख्य काम है हमारे शरीर के अंतः स्रावी ग्रंथियां को हार्मोन स्रावित करने के लिए उत्तेजित करना। इसे मास्टर ऑफ मास्टर ग्रंथि के नाम से जाना जाता हैं।

पीयूष

यह एक अंतः स्रावी ग्रंथि है जो मस्तिष्क के बीचों बीच में पाई जाती है। इसका मुख्य काम शरीर के विभिन्न क्रियाकलापों को नियंत्रित करना है। यह हमारे शरीर के दूसरी सबसे छोटी ग्रंथि है। किसका वजन 0.6 ग्राम होता है। इससे 11 हार्मोन स्रावित होते हैं। इस मास्टर ग्रंथि के नाम से भी जाना जाता है।

Thyroid Stimulating Harmone

इस हार्मोन का मुख्य काम थायराइड ग्रंथि से थायरोक्सिन निकालने में उत्तेजित करना है। जब थायराइड ग्रंथि को आयोडीन की कमी होती है तो थायरोक्सिन नहीं बन पाता है जिससे घेंघा नामक बीमारी होती है।

Somatatropin Harmone

इसका मुख्य काम शरीर की लंबाई को तियंत्रित करना है । इसके अधिक बनने से मनुष्य का शरीर लंबा तथा कम बनने पे शरीर बौना हो जाता है ।

Oxytocin

इसका मुख्य काम लेबर पेन को कम करना है। इसे लव हार्मोन या बर्थ हार्मोन कहते हैं।

Luteotropic Harmone

इसका मुख्य काम ऑक्सीटोसिन हार्मोन के साथ मिलकर दूध स्त्राव में सहायता करना है ।

पिनियल

यह हमारे शरीर का सबसे छोटा ग्रंथि है। यह हमारे शरीर में मेलाटोनिन नामक हार्मोन का उत्सर्जन करता है जिसका मुख्य काम नींद लाना है। इसे थर्ड आई अथवा बायोलॉजिकल ग्रंथि के नाम से भी जाना जाता है।

थाइमस

यह हमारे शरीर में सीने में पाया जाता है। यह प्रोटीन का निर्माण करती है परंतु जब मनुष्य 15 वर्ष की अवस्था में आ जाता है तब यह काम करना बंद कर देता है।

थायराइड

यह हमारे शरीर में सबसे बड़ी अंतः स्रावी ग्रंथियां में से एक है। इसका रंग गुलाबी तथा आकार H के समान होता है। इससे थायरोक्सिन हार्मोन निकलता है जो हमारे रक्तचाप को नियंत्रित करता है। इससे कैल्सीटोनिन नामक हार्मोन निकलता है जो कैल्शियम तथा फास्फोरस की मात्रा को नियंत्रित करता है।

पारा थाइराइड

यह पीयूष ग्रंथि के नियंत्रण में नहीं होता है। इनकी संख्या चार होती है। इनका मुख्य काम रक्त में कैल्शियम तथा फास्फोरस की मात्रा को नियंत्रित करना है।

एड्रिनल

इससे एड्रीनेलिन नाम का हार्मोन निकलता है। इसे आपातकालीन ग्रंथि,4S/3F भी कहते है। यह हमारे शरीर में BP को नियंत्रित करने का भी काम करता है। इसे लड़ो ऊड़ो हार्मोन/जीवन रक्षक हार्मोन/Do or Die हार्मोन भी कहते है।

गोनाड

जो ग्रंथी जनन की क्रिया में भाग लेती है उसे हम गोनाड ग्रंथी कहते है। Overy तथा testey ये दोनो इसके उदहारण है।

मिश्रित ग्रंथी

जो ग्रंथी एंजाइम तथा हार्मोन दोनो का स्त्राव करती है उसे मिश्रित ग्रंथी कहते है।

अग्नाशय

यह दूसरी सबसे बड़ी ग्रंथी है। इसमें से पूर्ण पाचक एंजाइम निकलती है। LAT ( लाइपेज, एमाइलेज, ट्रिप्सिन) अग्नाशय का ही एक भाग लैगर हेंस की दीपिका होता है। जिसमे तीन प्रकार की कोशिका पाई जाती है।

अल्फा कोशिका

इसमें से ग्लूकैगान निकलता है जो शरीर में ग्लूकोज की स्टार को बढ़ाती है। यह ग्लाइकोजेन को पुनः ग्लूकोज में बदल देता है।

बीटा कोशिका

इससे इंसुलिन निकलता है जो हमारे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को काम करता है। इंसुलिन हार्मोन होता है जो प्रोटीन से बना होता है। इंसुलिन जल में घुलनशील होता है। जिस व्यक्ति में इंसुलिन की कमी हो जाती है तो उसके शरीर में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है जिसे हम मधुमेह या डायबिटीज के नाम से जानते हैं।

गामा कोशिका

इससे सोमेटोस्टेरॉन निकलता है जो भोजन के स्वंगीकरण के लिए जरूरी है।

रक्त से जुड़ी जानकारी पाने के लिए इस लिंक पर जाएं-https://taajaknowledge.com/blood-rbc-wbc-platelets-part-1/

मूंगफली की रेसिपी का लिंक-https://taaza99.com/masala-mungfali-recipe-banane-ka-tarika-masaledar/

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